रहस्यमाई चश्मा भाग - 36
शुभा बोली बाबूजी इन्होंने अपना नाम विराज बताया था मंगलम चौधरी तो हतप्रद रह गए कि कब उन्होंने अपना नाम शुभा को विराज बता दिया यशोवर्धन बोले ये तो अपना नाम मंगलम चौधरी वता रहे है शुभा बोली मुझसे तो विराज ही बताया था यशोवर्धन बोले बेटी जो भी बताया हो तुम्हे यह जानना बहुत जरूरी है कि यह बहुत बड़े आदमी रईस इज़्ज़तदार के बेटे है जिनके पास कपड़े चीनी आदि कि कई मिले है शुभा बोली बाबूजी यह बात आपके जानने के लिए है,,,
मेरे जाजने की क्या आवश्यकता मेरे लिये इतना ही बहुत है कि मैं आपकी बेटी हूँ यशोवर्धन ने कहा बेटी बहुत सम्भव है तुम इनके घर की भी बेटी बनो मेरा मतलब है बेटी बहु शुभा शरमाकर अंदर चली गयी पुनः यशोवर्धन मंगलम कि तरफ़ मुखातिब होते हुये बोले मंगलम तुम्हे जब जी चाहे आते रहना इसे भी अपना ही घर समझना जिस प्रकार तुम एकलौते बेटे हो अपने माँ बाप के उसी प्रकार शुभा भी एकलौती बेटी है मेरी दो भाइयों के बीच मंगलम को विश्वास हो गया कि यशोवर्धन जी ने अपनी बेटी शुभा के लिए उन्हें पसंद करना शुरू कर दिया है जो वह स्वयं भी चाहता है सोचते सोचते शुभा से पहली मुलाकात के सुंदर पल प्रहरो में मंगलम खोए हुये थे ।
एका एक उनका ध्यान टूटा और अतीत से वर्तमान की तरफ मुखतिब हुये तो सुखिया काका ने आकर बताया कि सिंद्धान्त आये है चीनी मिलों कि मरम्मत का व्योरा लेकर क्योकि आप गन्ने की पेराई शुरू होने वाली है मंगलम स्वंय बाहर निकले जहाँ सिंद्धान्त उनकी प्रतीक्षा कर रहा था मंगलम नेऔपचारिकतओ के बिना ही पूछा सिंद्धान्त चीनी मिलों के मरम्मत का कार्य जिमेदारी पूर्वक बाखूबी किया जा चुका है कोई मजदूर वर्ग की तरफ से विशेष अपेक्षा या मांग सिंद्धान्त ने कहा सर यह रिपोर्ट पूरी पढ़ लीजिए वैसे मैंने बड़ी बारीकी से सभी मिलो का निरीक्षण किया है गन्ने की निर्वाध पेराई होगी और ना यांत्रिक कोई समस्या आने वाली है ना ही मजदूरों की यशोवर्धन ने सिंद्धान्त की तारीफ करते हुए कहा ऐसे ही थोड़े ही तुम महत्त्वपूर्ण हो सिंद्धान्त खुशी से फुला नही समा रहा था। नत्थू की चिंता यह थी कि उसके कुकृत्यों का कभी भी पर्दा फ़ास हो सकता है,,,,,,
तब वह क्या करेगा अतः उंसे असलियत खुलने से पहले ही सम्बंधित पक्षो को समाप्त करने कि गम्भीर योजना बनाने लगा उंसे इस बात का कत्तई इल्म नही था कि मंगलम चौधरीं को यह बात स्प्ष्ट हो चुकी है कि शुभा ही उनकी प्रेमिका है जिसके लिए उन्होंने जीवन पर्यंत अविवाहित रहने का संकल्प लिया था और सुयश उसी बिंव्याअहि से जन्मा उनकी ही संतान है इसीलिए उन्होंने सुयश को लंदन भेज दिया था उच्च शिक्षा के लिए जहां कभी स्वं मंगलम चौधरी ने ही शिक्षा ग्रहण की थी अब सिर्फ शेष था तो शुभा के विषय मे कोई ठोस प्रमाण या शुभा का स्वंय किसी स्थिति में जीवित रहना नत्थू को सिर्फ इतना ही पता था कि मंगलम चौधरी ही शुभा का प्रेमी है,,,,,
लेकिन सुयश का मंगलम का ही बेटा होने की सच्छाई मंगलम जान चुके है इस पर नत्थू को संदेह था उसने सिंद्धान्त अपने बेटे को मंगलम तक पहुंचा तो दिया था किंतु उसे अब यह नही समझ मे आ रहा था कि सिंद्धान्त के समक्ष कैसे इस सच्छाई को सावित कर पायेगा क्योकि उसकी माँ उंसे जन्म देते ही मर गयी और जो लोग उज़के साथ गए थे उन्हें पुलिस द्वारा मार दिया गया या स्वंय मर गए नत्थू को अपना दर्दनाक अन्त समीप नजर आ रहा था वह परेशान क्या करे क्या ना करे,,,
उसके दिमाग मे एक बहुत खतरनाक विचार ने जन्म लिया जो बहुत घातक और जोखिम भरा था उसने यह योजना बनाई की मंगलम चौधरी के हर मिल में मजदूरों में मंगलम चौधरी के विरुद्ध वातावरण बनाएगा और जब ऐसा हो जाएगा तब एक ही दी मंगलम चौधरी के सभी मिलो में मजदूरों कि आक्रमकता की आड़ में आग लगा दिया जाएगा नत्थू का मंगलम चौधरी से सीधा कोई बैर नही था लेकिन शुभा जिसकी तमाम पुश्तेनी सम्पत्ति पर उसने अपना हक जमा रखा था उंसे डर था कि मंगलम चौधरी के सज्ञान में सच्छाई और शुभा के सम्बंध में जब भी स्प्ष्ट हो गया वह उसे पागल कुत्तों की तरह सारे बाज़ार दौड़ा कर गोली मरवा देंगे और उन्हें कोई कानून छू भी नही पायेगा क्योकि मेरे विरुद्ध पर्याप्त सबूत होंगे नत्थू ने लोंगो को पूरे तीन माह तक प्रशिक्षित किया आग लगाने की समाज एव सम्पत्ति दोनों में फिर दस दस पंद्रह के समूह में मंगलम चौधरी के सभी मिलो के आस पास काम पर लगा दिया गांव में शुभा कन्या इंटरमीडिएट कॉलेज बन ही रहा था,,,,,
मंदिर का भी पुनर्निर्माण डेढ़ वर्ष के भीतर ही होना था बीच बीच मे यह भी खबर थी कि गांव में कभी भी पुलिस थाने की स्थापना हो सकती है।नत्थू कालेज निर्माण एव मंदिर पुनर्निर्माण के कार्य मे तो हस्तक्षेप करने का दुःसाहस नही कर सकता था क्योकि उसे पता था कि इन दो मुद्दों पर वह विल्कुल अकेला और अलग थलग है।
kashish
09-Sep-2023 07:33 AM
Awesome
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madhura
06-Sep-2023 05:13 PM
Nice
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